मामले के अनुसार, पीड़िता की शादी वर्ष 1996 में बहरियाबाद थाना क्षेत्र के वृंदावन गांव निवासी कुंदन से हुई थी। विवाह के बाद जब विवाहिता ससुराल पहुंची, तो उसे बताया गया कि उसका पति पीसीएस परीक्षा पास कर एसडीएम बन चुका है। यह सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन कुछ ही दिन बाद ससुराल पक्ष ने उच्च पद के अनुरूप दहेज की कमी का हवाला देकर मानसिक प्रताड़ना शुरू कर दी। मायके पक्ष ने भी बेटी के भविष्य को देखते हुए दहेज की पूर्ति की, मगर बाद में खुलासा हुआ कि पति न तो एसडीएम है और न ही किसी पद पर कार्यरत, बल्कि यूपीएससी की तैयारी कर रहा है।
इसी दौरान कुंदन का किसी अन्य महिला से प्रेम प्रसंग शुरू हो गया और उसने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी भी कर ली, जिससे उसके तीन बच्चे हैं। महिला प्रकोष्ठ में शिकायत के दौरान पति ने दूसरी शादी से इनकार कर पत्नी को घर ले जाने का वादा किया, लेकिन वह कभी अपने वादे पर खरा नहीं उतरा।
पीड़िता का आरोप है कि जब वह ससुराल गई, तो उसे मारपीट कर बाहर निकाल दिया गया। पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देने के बाद शादियाबाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पति कुंदन, उसकी दूसरी पत्नी छाया, सास-ससुर सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 85, 115(2) तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
यह मामला उन युवतियों के लिए चेतावनी है, जो सरकारी नौकरी वाले दूल्हे के सपने देखती हैं, लेकिन कई बार झांसे में आकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठती हैं।

