✍️ दीपक कुमार पाण्डेय, एडवोकेट हाईकोर्ट इलाहाबाद की विशेष विश्लेषण।
गाज़ीपुर | 18 जुलाई 2025 — भ्रष्टाचार विरोधी संगठन वाराणसी मंडल द्वारा वरिष्ठ सहायक, कलेक्ट्रेट गाज़ीपुर में कार्यरत अभिनव कुमार सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी द्वारा दी गई लिखित शिकायत पर आधारित थी, जिसे FIR संख्या 5003/2025, थाना कोतवाली, जनपद गाज़ीपुर में दर्ज किया गया।
⛔ एफआईआर में दर्ज मुख्य बिंदु:
1. शिकायतकर्ता श्री दुलसहापुर निवासी, पूर्व वरिष्ठ सहायक, दिनांक 30.06.2025 को सेवानिवृत्त हुए।
2. उनकी 90% GPF भुगतान की प्रक्रिया में देरी की जा रही थी, जबकि 20.05.2025 को महालेखाकार प्रयागराज द्वारा प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया था।
3. भुगतान के लिए बार-बार संपर्क करने के बाद अभिनव कुमार सिंह ने ₹50,000 की रिश्वत (सुविधा शुल्क) माँगी।
4. पीड़ित ने भ्रष्टाचार निरोधक संगठन, वाराणसी मण्डल से संपर्क किया और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़वाने का निर्णय लिया।
5. दिनांक 18.07.2025, सुबह 11:50 बजे, गवाहों (लोकसेवकों) की मौजूदगी में ₹50,000 के फिनोफ्थलीन पाउडर लगे नोट आरोपी को सौंपे गए।
6. नकद राशि आरोपी के पैंट की दाहिनी जेब से बरामद हुई, जिसे रसायन परीक्षण के बाद रिश्वत की पुष्टि हुई।
7. आरोपी ने भागने और पुलिस को धक्का देने की कोशिश की, लेकिन उसे भीड़ से बचाते हुए टीम ने हिरासत में लिया।
8. मौके से विवो मोबाइल फोन, अतिरिक्त ₹500 नकद, और रंगीन पैंट जिसमें रिश्वत रखी गई थी — यह सब ज़ब्त किया गया।
9. आरोपी की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के अंतर्गत की गई।
10. आरोपी की गिरफ्तारी की सूचना उसके पुत्र अभय यादव को मोबाइल पर दी गई।
—
📌 कानूनी स्थिति:
➡️ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के अनुसार आरोपी को 3 वर्ष से 7 वर्ष तक की कठोर कारावास और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
➡️ घटना स्थल पर वीडियो रिकॉर्डिंग, रासायनिक विश्लेषण, गवाहों के बयान, और बरामद नोटों के नंबर — सभी को पुख्ता सबूत के तौर पर लिया गया है।
—
💬 संपादकीय टिप्पणी:
इस घटना से स्पष्ट है कि सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार किस हद तक आम नागरिकों के अधिकारों को निगल रहा है। एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को उसकी ईमानदारी की कमाई के लिए भी रिश्वत देना पड़े, यह व्यवस्था के लिए कलंक है।
हमारी न्याय प्रणाली को अब केवल सज़ा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ऐसी घटनाओं के विरुद्ध तत्काल सेवा समाप्ति, पेंशन स्थगन, और जनहित में नाम सार्वजनिक करने जैसे कड़े कदम भी उठाए जाने चाहिए।
—
✅ निष्कर्ष:
प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार, अभिनव कुमार सिंह पर आरोप सिद्ध करने हेतु स्थानीय प्रशासन, एंटी करप्शन टीम, और विधिक प्रक्रिया के अंतर्गत जो कार्यवाही की गई, वह न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
—
📌
दीपक कुमार पाण्डेय
अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद
📘 न्याय के हर संघर्ष में जनता के साथ, कानून की बात साफ़