ताज़ा खबर | इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी टिप्पणी
⚖️ हड़तालें न्याय की राह में रोड़ा नहीं बन सकतीं
मामला मोहम्मद नजीम खान बनाम तहसीलदार/सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी, परगना तहसील रुदौली, अयोध्या से जुड़ा है।
इस केस में याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 227 के तहत गुहार लगाई थी कि उ.प्र. राजस्व संहिता की धारा 67 में लंबित उनके प्रकरण की शीघ्र सुनवाई हो।
जब हाईकोर्ट ने आदेश पत्र देखा तो सामने आया कि –
इस राजस्व वाद की कुल 102 सुनवाइयों में से 68 बार स्थानीय बार एसोसिएशन द्वारा हड़ताल या शोक संवेदना के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई।
और तो और, 27 मई 2025 से लगातार 21 तारीखों में हर बार हड़ताल/बहिष्कार के चलते सुनवाई आगे टल गई।
⚖️ माननीय न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा –
> “यह आचरण सुप्रीम कोर्ट के बाध्यकारी निर्णयों का घोर उल्लंघन है।
वकीलों को हड़ताल पर जाने या बहिष्कार का आह्वान करने का कोई अधिकार नहीं है – यहाँ तक कि सांकेतिक हड़ताल पर भी नहीं।”
पीठ ने 2002 (कैप्टन हरीश उप्पल बनाम भारत संघ), 2017 (हुसैन बनाम भारत संघ) और 2020 (जिला बार एसोसिएशन देहरादून बनाम ईश्वर शांडिल्य) के सुप्रीम कोर्ट फैसलों का हवाला दिया और दोहराया कि –
“कोई भी बार एसोसिएशन हड़ताल या बहिष्कार का आह्वान करने के लिए बैठक तक नहीं बुला सकती।”
अदालत ने आगे बढ़ते हुए रुदौली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया और उन्हें प्रतिवादी बनाते हुए आदेश दिया कि वे बताएं –
क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए?
क्यों न उनके आचरण को व्यावसायिक कदाचार व न्यायालय की अवमानना माना जाए?
अगली सुनवाई : 2 सितम्बर 2025
इस दिन पदाधिकारियों को व्यक्तिगत हलफ़नामे के साथ अदालत में पेश होकर बार-बार बहिष्कार के कारण स्पष्ट करने होंगे।
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⚖️ यह आदेश न्यायपालिका की उस गंभीरता को दर्शाता है जिसके अंतर्गत गरीब वादियों की वर्षों से लंबित राजस्व कार्यवाही केवल हड़तालों के चलते ठप हो रही थी।
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✍️ Deepak Kumar Pandey Adv.
High Court Judicature at Allahabad

